भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजों का ऐलान कर दिया गया है. गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बीते 8 अगस्त को शुरू हुई छह सदस्यीय एमपीसी बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस बार भी नीतिगत दर यानी Repo Rate को यथावत रखा है. मतलब रेपो रेट 6.5 फीसदी ही रहेगा और होम लोन (Home Loan) या ऑटो लोन (Auto Loan) लेने वालों पर ईएमआई का बोझ नहीं बढ़ेगा.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कोई बदलाव न किए जाने का ऐलान करने के साथ ही दावा किया भारत सही ट्रैक पर आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में ये दुनिया का ग्रोथ इंजन बनेगा.
फरवरी महीने से रेपो रेट में बदलाव नहीं
देश में महंगाई के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद इसे तय दायरे में वापस लाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई 2022 के बाद से लगातार नौ बार Repo Rate में इजाफा किया था. इस अवधि में ये दर 250 बेसिस प्वाइंट बढ़ाई गई थी. हालांकि, महंगाई पर कंट्रोल के साथ ही केंद्रीय बैंक ने इसमें बढ़ोत्तरी पर ब्रेक लगा दिया और फरवरी 2023 के बाद से इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. एक्सपर्ट्स भी उम्मीद जता रहे थे कि RBI रेपो रेट को स्थिर रख सकता है. इससे पहले अप्रैल और जून में हुई बैठक में भी इस दर को स्थिर रखा गया था.
रेपो रेट बढ़ने से बढ़ जाती है लोन की EMI
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की EMI घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में भी इजाफा देखने को मिलता है. जब देश में महंगाई आरबीआई के तय दायरे से बाहर जाती है, तो फिर इसे कम करने के उद्देश्य से रेपो रेट में इजाफे का फैसला लिया जाता है.
महंगाई और रेपो रेट में क्या है कनेक्शन?
भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई दर पर काबू पाने के लिए रेपो रेट बढ़ाता है और लोन महंगे हो जाते हैं. लोन महंगा होने से इकोनॉमी में कैश फ्लो में गिरावट आती है. इससे डिमांड में कमी आती है और महंगाई दर घट जाती है. रेपो रेट के अलावा एक होता है रिवर्स रेपो रेट. रिवर्स रेपो रेट वो दर होती है, जिसके अनुसार रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को डिपॉजिट पर ब्याज देता है. जून में खुदरा महंगाई (Retail Inflation In June) दर 4.8 फीसदी रही थी.
RBI के दायरे से बाहर निकल सकती है महंगाई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ईकोरैप रिपोर्ट में टमाटर और प्याज की अगुवाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी के चलते खुदरा महंगाई जुलाई, 2023 में मासिक आधार पर 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 6.7 फीसदी के स्तर तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है. गौरतलब है कि बीते माह के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े 14 अगस्त को जारी किए जाएंगे. बता दें बीते एक महीने से ज्यादा समय से देश में टमाटर की कीमतें (Tomato Price) आसमान पर हैं.
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